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दुनिया की सबसे ऊँची शिव प्रतिमा का लोकार्पण हुआ आज, देखें ख़बर।।

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राजस्थान के राजसमंद में भगवान शिव की 369 फ़ीट ऊँची प्रतिमा स्थापित की गई हैं। इसका लोकार्पण कार्यक्रम 29 अक्टूबर से 6 नवबंर तक आयोजित किया गया हैं। इस प्रतिमा के निर्माण में दस साल का समय लग गया। राजस्थान के नाम आज एक अनोखा रिकॉर्ड दर्ज हो गया। राजस्थान के राजसमंद जिले के नाथद्वारा में बनी इस शिव प्रतिमा की ऊँचाई 369 फीट है। विश्व की इस सबसे ऊँची शिव प्रतिमा का नाम "विश्वास स्वरूपम्" रखा गया हैं। बताया जा रहा है कि दुनिया की सबसे ऊँची शिव प्रतिमा के लोकार्पण के लिए 29 अक्टूबर से 6 नवबंर तक लोकार्पण महोत्सव का आयोजन होगा। ये शिव प्रतिमा संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से तैयार कराई गई हैं।  संत कृपा सनातन संस्थान के ट्रस्टी मदन पालीवाल ने शिव प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के लिए आयोजित कार्यक्रमों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी हैं। उन्होंने कहाँ है कि महादेव की प्रतिमा के लोकार्पण से जुड़े इस यज्ञ में 9 दिन तक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होंगे। संत कृपा सनातन संस्थान के ट्रस्टी के मुताबिक़ इस दौरान मुरारी बापू की 9 दिवसीय रामकथा भी आयोजित की जाएगी। संत कृपा सनातन

Bhai dooj 2022: क्यों मनाया जाता है, आखिर क्या है इसके पीछे की पौराणिक मान्यता।।

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भाई दूज का त्यौहार हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें व्रत, पूजा, कथा करके भाई की लंबी आयु की कामना करते हुए उन्हे माथे पर तिलक लगाकर और मिठाई खिलाती हैं। भाई दूज क्यों मनाया जाने लगा। यमुना तथा यमराज भाई बहन थे। इनका जन्म भगवान नारायण की पत्नी छाया की कोख से हुआ था। यमुना यमराज से बहुत स्नेह करती थी। यमुना बार-बार यमराज को अपने घर भोजन करने के लिए आमंत्रित करती थी, लेकिन कार्य में व्यस्त होने के कारण यमराज उन्हें मना कर देते थे। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को यमुना यमराज को अपने घर में भोजन पर आने के लिए वचन ले लेती हैं। यमराज भी सोचते है कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं, मुझे कोई अपने घर नहीं बुलाना चाहता लेकिन मेरी बहन मुझसे कितना स्नेह करती हैं जो मुझे बार-बार अपने घर आमंत्रित कर रही है। द्वितीय तिथि के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर खाने के लिए चल पड़ते हैं और नर्क के सभी जीवों को मुक्त कर देते है। यमराज के घर पहुंचते ही यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहता है और सबसे पहले वह स्नान करके यमराज को तिलक लगाती हैं और उनका

क्यों की जाती है गोवर्धन पूजा? जानें इस ख़बर के जरिए।।

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दिवाली के अगले दिन, गोवर्धन पूजा की जाती है हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को की जाती है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। हर साल दीपावाली के अगले दिन ही गोवर्धन पूजा होती है।अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई हैं। इसमें हिन्दू धर्मावलंबी घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन नाथ जी की रंगोली बनाकर उनका पूजन करते है। उसके बाद पर्वतराज भगवान को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। हमारे देश में गोवर्धन पूजा का खास महत्व हैं। इस दिन प्रकृति कि पूजा की जाती हैं। इसे हर वर्ष दिवाली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष कि प्रतिपदा तिथि के दिन मनाई जाती हैं। इस अवसर पर भगवान अन्नकूट और भगवान श्री कृष्ण के साथ गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती हैं।  गोवर्धन पूजा मनाने का कारण और महत्व । गोवर्धन पूजा का त्यौहार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित हैं। इस त्यौहार को गो माता के प्रति कृतज्ञता और प्रकृति के प्रति आभार जताने के लिए मनाया जाता हैं।  श्रीकृष्ण की भक्ति। भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के ल

मोदी की शिवभक्ति - केदारनाथ पहुँच की पूजा अर्चना - महाकाल हुए प्रसन्न : NEWS HELPLINE

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मोदी की शिवभक्ति - केदारनाथ पहुँच की पूजा अर्चना - महाकाल हुए प्रसन्न : NEWS HELPLINE केदारनाथ धाम पहुंचे मोदी, किया पूजा अर्चना :- पीएम मोदी केदारनाथ धाम पहुंचे, केदारनाथ मंदिर में 20 मिनट तक पूजा और रुद्राभिषेक किया। पी एम मोदी ने देश की सुख शांति और समृद्धि की कामना की। पूजा के बाद पीएम ने केदारनाथ मंदिर के परिसर का भ्रमण किया। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी छठवीं बार केदारनाथ धाम पहुंचे है ।  केदारनाथ दर्शन करने के लिए पीएम ने खास हिमांचली पोशाक भी पहनी थी। उन्होंने हिमाचली टोपी और हिमाचल के चंबा की पोशाक चोला डोरा पहना था। चम्बा की महिलाओं ने अपने हाथो से पीएम मोदी के लिए ये खास पोशाक तैयार किया था। पोशाक के पीछे स्वास्तिक चिन्ह भी बना हुआ था। गर्भ गृह में पूजा अर्चना करने के बाद आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि के दर्शन भी किए। इस मौके पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे। पीएम मोदी ने गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए रोपवे का शिलान्यास किया। इस रोपवे पर 1267 करोड़ रूपए की  लागत आई है। पीएम मोदी ने कहा कि

हिंदू धर्म से जुड़े पांच सबसे बड़े रहस्य, जानिए इस ख़बर के ज़रिए।।

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हिंदू धर्म एक सबसे बड़ा धर्म है, इसको मानने वाले करोड़ों समर्थक है। हिंदू धर्म में देवी-देवताओं,भगवान,गुरु, पितृ, प्रकृति,वेद-उपनिषद आदि को पूर्ण सम्मान दिया गया है। पुनर्जन्म, भूत-प्रेत आदि में हिंदू धर्म की गहरी आस्था रही है। पाप और पुण्य को हिंदू धर्म में बड़ा स्थान दिया गया है। पाप करने पर नरक व पुण्य कार्य करने पर स्वर्ग की प्राप्ति होती है ऐसी बातें इस धर्म में बताई गई है। न्याय और अन्याय की भी परिभाषा बताई गई है। हिंदू धर्म में ऐसे कई रहस्य छिपे है जिसे विज्ञान वैज्ञानिक आज भी स्वीकार करने से मना करते हैं, हालांकि अब विज्ञान कुछ- कुछ बातों पर विश्वास करने भी लगा है। तो आइए जानते हैं ऐसे ही 5 रहस्यो के बारे में जो आज भी रहस्य में बने हुए हैं। पुनर्जन्म  पुनर्जन्म का सिद्धांत केवल हिंदू धर्म ही मानता है हिंदू धर्म के अनुसार आत्मा अजर-अमर है। यहूदी,ईसाई, इस्लाम इस सिद्धांत को नहीं मानते। वे इस बात का खंडन करते हैं। लेकिन अब विज्ञान इसको मानने पर सहमत होने लगा है। हिंदू धर्म के अनुसार आत्मा एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर को धारण करती है। यह दोनों ही शरीर अपना रंग रूप और आकार प्रकार बद

महाकाल का अदभुत लोक, पीएम मोदी ने किया महाकाल लोक का उद्घाटन।।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उज्जैन में महाकाल मंदिर के पास नवनिर्माण महाकाल लोक का उद्घाटन किया। रिमोट द्वारा रक्षा सूत्र से बने विशाल शिवलिंग से पर्दा हटाया एवं उज्जैन आते ही प्रधानमंत्री सबसे पहले महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे, यहां उन्होंने षोडशोपचार यानि की पूरे विधि-विधान से पूजन किया और उसके बाद गर्भगृह में ही बैठकर जाप किया, यही नहीं बल्कि बाहर नंदी जी के पास बैठकर प्रार्थना भी की। कार्तिक मेला ग्राउंड में प्रधानमंत्री मोदी ने जनसभा का संबोधन हर-हर महादेव और जय श्रीमहाकाल का उच्चारण करके किया। उन्होंने कहा कि महाकाल की नगरी प्रलय के प्रहार से भी मुक्त करा सकती है। इसी कार्यक्रम में गायक कैलाश खेर ने महाकाल के भजन गायन की प्रस्तुति दी और इस कार्यक्रम के दौरान क़रीब 60 हज़ार लोग उपस्थित रहे। पहले चरण का हुआ उद्घाटन। श्री महाकालेश्वर धाम उज्जैन, भारत में सर्वाधिक प्रतिष्ठित ज्योतिर्लिंगों में से एक विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। उज्जैन महाकाल मंदिर के नवनिर्माण का पहला चरण पूर्ण हो गया हैं। इसमें 900 मीटर लम्बा कॉरिडोर रूद्रसागर झील के चारों तरफ फैला हुआ है। इसके अलावा द

मिथिलांचल में हर साल धूमधाम से मनाया जाता है, "कोजागरा"का विशेष पर्व देखे खबर !!

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“कोजागरा"मिथिलांचल का पारंपरिक लोक त्यौहार है और विशेष रूप से नवविवाहितओं के परिवारों द्वारा आश्विन मास की पूर्णिमा यानी की“शरद पूर्णिमा"की रात में धूमधाम से मनाया जाता है। ग्रामीणों के बीच मखाना और पान वितरीत किया जाता हैं और इस अवसर पर कुछ अनुष्ठान भी किए जाते हैं। दिवाली से पहले देवी लक्ष्मी की पूजा करने का यह एक शुभ समय होता है। देवी लक्ष्मी का अवतार शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इस दिन माना जाता है कि देवी लक्ष्मी पृथ्वी का चक्कर लगाती है और अपने भक्तों के दुखों और कष्टों का निवारण करती है। वरदान में अच्छा स्वास्थ्य और धन का आशीर्वाद देती हैं। नवविवाहित इस त्यौहार को ख़ास तौर पर  मनाते है। कोजागरा मिथिलांचल के ब्राह्मण समाज में मुख्य रूप से मनाया जाता है। कोजागरा का त्यौहार नवविवाहित वर-वधू के लिए एक खास महत्व रखता है। इस दिन वर पक्ष के यहां उत्सव और खुशी का माहौल होता है। इस दिन दही,धान,पान,सुपारी,मखाना, चांदी से बने कछुआ,मछली,कौड़ी के साथ वर का पूजन किया जाता है। वर और वधू के बीच चांदी की कौड़ी के साथ एक विशेष “खेल" होता है जिसे“पचीसी" कहा जाता हैं

समुद्र की लहरों पे भारी पड़ा गंगा घाट , टुरिज्म में गोवा छोड़ काशी हुआ खास।।

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गोवा के समुद्र किनारे पुरी दुनिया से लोगों का सैलाब आता है। जो की एक विश्व विख्यात में इसका नाम होता था। यहां लोग घूमने से ले के बोटिंग करने आते है। लेकिन आज के समय बनारस काफी लोकप्रिया हैं। भव्य और दिव्य काशी विश्वनाथ धाम जो लाखो लोगों के दिलो पर चर्चा का विषय बन चुका हैं। यहां का तेजी से विकास होना, अब ये देश और दुनिया के सैलानियों की पहली पसंद बन चुका हैं, बनारस। यहां का हर एक घाट कुछ न कुछ अपने आप में कहता हैं। यही कारण हैं की गोवा के समुंद्र की लहरों को बनारस के गंगा घाट ने काफी पिछे छोड़ दिया है। हम नहीं बल्कि आंकड़े इस बात को दर्शाते हैं। काशी विश्वनाथ धाम ने पर्यटकों को दी नई ऊंचाई। वर्ष 2021-2022 में गोवा में साढ़े तीन करोड़ के करीब पर्यटक पहुंचे। इस बात की पुस्टि गोवा पर्यटक विभाग के जीएम लक्ष्मीकांत वैनागर के द्वरा बताया जा रहा हैं। अगर हम बनारस की बात करे तो करीब साढ़े 10 करोड़ से अधिक सैलानी व श्रद्धालुओं का आगमन हुआ और यही नहीं बल्कि काशी विश्वनाथ धाम में साढ़े आठ करोड़ पर्यटक दर्शन करने पहुंचे हैं। इसकी पुष्टि यूपी टूरिज्म के द्धारा की गई। वाराणसी में तेजी से बढ़ रहे