क्यों की जाती है गोवर्धन पूजा? जानें इस ख़बर के जरिए।।
दिवाली के अगले दिन, गोवर्धन पूजा की जाती है हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को की जाती है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। हर साल दीपावाली के अगले दिन ही गोवर्धन पूजा होती है।अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई हैं। इसमें हिन्दू धर्मावलंबी घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन नाथ जी की रंगोली बनाकर उनका पूजन करते है। उसके बाद पर्वतराज भगवान को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।
हमारे देश में गोवर्धन पूजा का खास महत्व हैं। इस दिन प्रकृति कि पूजा की जाती हैं। इसे हर वर्ष दिवाली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष कि प्रतिपदा तिथि के दिन मनाई जाती हैं। इस अवसर पर भगवान अन्नकूट और भगवान श्री कृष्ण के साथ गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती हैं।
गोवर्धन पूजा मनाने का कारण और महत्व ।
गोवर्धन पूजा का त्यौहार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित हैं। इस त्यौहार को गो माता के प्रति कृतज्ञता और प्रकृति के प्रति आभार जताने के लिए मनाया जाता हैं।
श्रीकृष्ण की भक्ति।
भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए यह पूजा काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे मनाने की शुरुआत उनके द्वारा रचाई गई लीला के साथ हुई थी। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा पर उठाकर इंद्रदेव के प्रकोप से सभी बृजवासियों की रक्षा की थीं। इसलिए इस दिन को श्रीकृष्ण की भक्ति और आराधना करने के लिए माना गया है। इस दिन गेहूँ, चावल जैसे अनाज, बेसन से बनी कढ़ी व हरी पत्ती वाली सब्ज़ियों से बने भोजन को पकाया जाता है और भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किया जाता हैं।
गौ माता के प्रति कृतज्ञता।
हमारे सनातन धर्म की यह खूबसुरती है कि इसने प्रकृति और यहां तक की पशुओं को भी पूजनीय स्थान दिया गया हैं। जिस प्रकार नदियों में गंगा को अत्यंत पवित्र माना जाता है उसी प्रकार पशुओं में गाय को हमारे धर्म में विशेष स्थान दिया गया हैं। पूजनीय होने के साथ-साथ उन्हें माँ का स्थान भी दिया गया हैं।
गोवर्धन पूजा के लाभ।
इस पूजा को पूरी श्रद्धा से करने वालो को भगवान श्रीकृष्ण का आशीष प्राप्त होता है साथ ही गो माता भी इस पूजा से प्रसन्न होती हैं। यह पर्व भक्तों के जीवन में सुख समृद्धि की सौगात लेकर आता हैं। इस पूजा को करने से भगवान श्रीकृष्ण को अन्नकूट अर्पित करने से घर में कभी भी धन धान्य की कमी नही होतीं हैं।
यह पूजा घर में सकारात्मक ऊर्जा लेकर आती हैं।
गोवर्धन पूजा मंत्र।
लक्ष्मीर्या लोक पालानाम् धेनुरूपेण संस्थिता।
घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु..
यानि सायंकाल पश्चात् पूजित गायों से पूजित गोवर्धन पर्वत का मर्दन कराएं। फिर उस गोबर से घर-आंगन लीपें।
अनु चौहान
न्यूज़ हेल्पलाइन
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