समान नागरिक संहिता (UCC) क्या है? इसके आने से क्या कुछ होगा देश मे बदलाव ? NEWSHELPLINE

चर्चा मे क्यो है UCC ?

आजकल कुछ दिनो से चर्चा मे रहा UCC (समान नागरिक संहिता ) पक्ष-विपक्ष के लिए मुद्दा का विषय बन हुआ है। जैसा कि जब चुनाव नजदीक आता है तब कुछ न कुछ मुद्दे जरुर उठाए जाते है। हाल ही में समान नागरिक संहिता को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बयान दिया जिससे इस मुद्दे पर देश मे बहस छिड़ गई है। हालाकि जनसंघ की शुरू से तीन एजेंडा प्रमुख रहा है जिसमे धारा 370, राम मन्दिर और समान नागरिक संहिता है। भाजपा के 2019 लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र मे भी UCC शामिल था। भारत के 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर धार्मिक संगठनो के अलावा आम जनता के विचार मांगे गए हैं।


क्या है समान नागरिक संहिता ?

समान नागरिक संहिता का मतलब है देश मे रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो यानी हर धर्म, जाति एवं लिंग के लिए एक जैसा कानून। यह कानून जिस देश मे लागू होती है उस देश मे विवाह, तलाक, संपत्ति से लेकर अन्य सभी बिषयो तक जो भी कानून बनाये जाते है वो सभी धर्म के नागरिको को समान रूप से मानने होते है। हालाकि भारत मे धर्म, भाषा, एवं सँस्कृतियो मे भिन्नताएं देखने को मिलती है अगर भारत मे यह कानून लागू किया जाता है तो सभी धर्मो के लिए वही कानून होगा जो भारत की संसद तय करेगी।


भारत मे समान नागरिकता की उत्पत्ति कैसे ?

समान नागरिक संहिता की उत्पत्ति औपनिवेशिक भारत में हुई जब ब्रिटिश सरकार ने 1835 मे अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसने अपराधों, सबूतों, अनुबंधो आदि से सम्बंधित भारतीय कानून के संहिताकरण में एकरूपता की आवश्यकता पर बल दिया था। इसी क्रम में सरकार में 1941 में हिन्दू कानून को संहिताबद्ध करने के लिए बी. एन.राव समिति का गठन किया था। इस समिति की सिफारिसो के आधार पर 1956 में एक विधेयक को हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के रूप में अपनाया गया था इसमें हिन्दुओ , बौद्धों , जैनियों और सिक्खो के सम्बंधित कानून में संशोधन एवं उनका संहतीकरण किया फिर भी मुसलमानो, ईसाईयों और पारसियों के लिए अलग अलग व्यक्तिगत कानून मौजूद रहा।


भारत मे क्यो नही लागू हो सका समान नागरिक संहिता ?

भारत में गोवा एक मात्र ऐसा राज्य है जहा सामान नागरिक संहिता (ucc ) लागू है जिसे गोवा सिविल कोड के नाम से जाना जाता है वह सभी धर्मो के लिए एक ही कानून है। संविधान के अनुच्छेद 44 में सभी नागरिको के लिए एक सामान कानून लागू करने की बात कही गयी है फिर भी इसे पुरे भारत में अभी तक लागू नहीं किया जा सका जिसका मुख्य कारण भारतीय संस्कृति की विविधता है अमेरिका, आयरलैंड , पाकिस्तान , बांग्लादेश , मलेशिया , टर्की , इंडोनेशिया, मिस्र आदि जैसे दुनिया भर के देशो में सामान नागरिक संहिता लागू है।


न्यूज़ हेल्पलाइन डेस्क

रमेश राय

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