भारत मिलेट्स का कितना बड़ा व्यापार करता है , और क्या आप भी इसे शुरू कर सकते है ? NewsHelpline

मिलेट्स जिसका मतलब हिंदी में बाजरा होता है जो हम भारतवासी इसकी रोटियां खाना बहुत पसंद करते हैं। वैसे तो हमारा भारत सिर्फ मिलेट्स का ही नही बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक देश है। ये आपको जान कर के खुशी होगी की फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन ऑफ यूनाइटेड नेशन के अनुसार भारत खाघ की उत्पत्ति में दूसरे नंबर पर आता है।
भारत में मिलेट्स का उत्पादन :
भारत  मिलिट्स का सबसे बड़ा उत्पादक है जो की पहले नंबर पर आता है ,उसके बाद आता है नाइजीरिया। 41% मिलेट का उत्पादन विश्व में सिर्फ भारत में होता है। केंद्र सरकार के अनुसार भारत के इन कुछ राज्यों का मिलट के उत्पादन में सबसे बड़ा हाथ है – राजस्थान , महाराष्ट्र कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश । कुछ सूत्रों के अनुसार जितना उत्पादन हमारे 5 राज्यों में मिलेट्स का हो रहा है ,कई देश उतना प्रोडक्शन भी नहीं कर पा रहे। 
 मिलेट्स उत्पादन के आंकड़े  :-
खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार 2020 में मिलेट्स का विश्व उत्पादन 30.464 मिलियन मैट्रिक टन था और इसमें भारत की हिस्सेदारी 12.49 एमएमटी थी । भारत लगातार मिलेट्स उत्पादन में काफी अच्छी ग्रोथ भी कर रहा है। 2021–2022 में भारत ने बाजरे का उत्पादन करीब 16 मिलियन टन किया था और इसके बाद । एक अनुमान के मुताबिक मिलेट्स मार्केट अभी 9 अमेरिकन बिलियन डॉलर है और 2025 तक 12 मिलियन डॉलर होने की उम्मीद है। अगर ऐसा हुआ तो विश्व मे मिलेट्स का बड़ा मार्केट भारत मे होगा।
मिलेट्स ईयर :
मिलेट्स को लेकर जागरूकता और इसका उत्पादन और बढ़ाने के लिए भारत सरकार के आदेश पे  2022 में यूनाइटेड नेशन ने 2023 को इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर घोषित किया था।

क्या हम भी इसे कर सकते हैं :

जैसे की ऊपर बताया कि लोगों को मिलेट्स के प्रति और जागरूक करने के लिए 2023 को इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर डिक्लेयर किया था, जिससे हमारे किसान भाई मिलेट्स यानी बाजरे की खेती ज्यादा से ज्यादा करें। अगर ऐसा होता है तो इसके 2 फायदे हैं, तो चलिए जानते है इसके फायदे :

1) बाजरे को आराम से अपने खेत में उगाया जा सकता है जिसको कम पानी में भी उगाया जा सकता है और ये 60– 90 दिनों में उग जाता है।
किसानों का दोस्त बोले जाने वाले मिलेट्स किसानों की रोजी–रोटी सुनिचित करता है।

2) पर्यावरण के अनुकूल :
मिलेट्स प्रयावरण के अंकुल भी होते हैं क्योंकि ये मिट्टी के लिए हानिकारक नहीं होते और इन्हें काम लागत में लगाय जा सकता है।

हमारा देश पहले भी सोने की चिड़िया कहा जाता था और आज भी हमारा देश सोने की चिड़िया जल्द ही बन सकता है। क्या आपको भी ऐसा लगता है? आपकी राय कमेंट बॉक्स में लिखें ।


न्यूज़ हेल्पलाइन डेस्क
शालिका कुलश्रेष्ठ

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