Law update:भारत में एसिड अटैक का कानूनी प्रभाव| Newshelpline
एसिड अटैक के बारे में उपधारणा-
यदि किसी व्यक्ति ने किसी अन्य व्यक्ति पर एसिड फेंका है या उसे एसिड पिलाया है, तो न्यायालय यह मान लेगा कि ऐसा कार्य इरादे से किया गया है, या इस ज्ञान के साथ किया गया है कि इस तरह के कार्य करने से ऐसी चोट लगने की संभावना है, जो इंडियन पीनल कोड की धारा 326A में वर्णित है। एसिड अटैक को व्यापक परिप्रेक्ष्य (पर्स्पेक्टिव) देने के लिए यह धारा लागू की गई थी। एसिड अटैक को हाल ही में क्रिमिनल लॉ (अमेंडमेंट) एक्ट, 2013 के माध्यम से इंडियन पीनल कोड के तहत एक अलग अपराध के रूप में पेश किया गया था।
इंडियन पीनल कोड की धारा 326A:-
भारतीय दंड संहिता 326A के अनुसार “एसिड” में कोई भी पदार्थ शामिल है, जिसमें अम्लीय (एसिडिक) या संक्षारक चरित्र या उसकी जलती हुई प्रकृति होती है जो शारीरिक चोट के कारण निशान या विकृति या अस्थायी (टेम्परेरी) या स्थायी अक्षमता (डिसेबिलिटी) पैदा करने में सक्षम (केपेबल) है। इन हमलों के दीर्घकालिक (लॉन्ग टर्म) परिणामों में अंधापन, चेहरे और शरीर के स्थायी निशान शामिल हो सकते हैं और साथ ही दूरगामी (फार-रीचिंग) सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक कठिनाइयां भी हो सकती है।
इंडियन पीनल कोड की धारा 326A और धारा 326B में सजा शामिल है जो एक आरोपी को दी जाती है, जो इस प्रकार है:
1.धारा 326A में एसिड फेंकने पर सजा का प्रावधान है। न्यूनतम (मिनिमम) सजा 10 साल की कैद है, जिसे जुर्माने के साथ आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।
2.धारा 326B में एसिड फेंकने के प्रयास के लिए सजा का प्रावधान है। न्यूनतम सजा 5 साल की कैद है, इसमें जुर्माने के साथ 7 साल तक की सजा हो सकती है।
इस अमेंडमेंट में उन लोगों के लिए सजा शामिल थी, जो इस हीनियस अपराध का अभ्यास करते हैं लेकिन अमेंडमेंट व्यर्थ रहा क्योंकि लोग अभी तक इसका अभ्यास करते हैं। इसलिए ऐसे लोगो के लिए सबसे अच्छी सज़ा यही होगी की इनके साथ जैसे का तैसा ही किया जाये यानी जो लोग इस अपराध का अभ्यास करते हैं उनके साथ भी यही किया जाना चाहिए। ये सबसे अच्छी सजा होगी जो उन्हें दी जा सकती है।
न्यूज हेल्पलाइन
संजना दत्ता
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