आजकल स्मार्टवॉच हर किसी को बनाती है कूल, जाने इसके फायदे और नुकसान ।।
आज कल स्मार्टवॉच का मानों एक प्रचलन या प्रथा बन चुकी है। आज कल के हर युवा और युवती के हाथों मे स्मार्टवॉच देखने को मिलती है और सभी लोग कूल दिखने के लिए इसे पहनते है। यह आज के समय मे युवा के दिलो पर राज कर रहा है। यह स्मार्टवॉच अन्य घड़ी से काफी अलग दिखती है। इसमे बहुत सारे फीचर्स आते है। अगर देखा जाए तो यह एक छोटे फोन के समाना ही है। इसमे अलग अलग कंपनी के स्मार्टवॉच आते है। इसमे छोटी-सी स्क्रीन भी होती है और इसकी स्क्रीन स्मार्टफोन की तरह टच सक्रीन जैसी है। यह एक तरह से कम्प्यूटर ऑपरिटिंग सिस्टम की तरह काम करता है।
स्मार्टवॉच की खोज कैसे, कब और कहां हुई।
सबसे पहले इसकी शुरुआत वर्ष 1972 में हमिल्टन वॉच कंपनी और इलेक्ट्रो डाटा इंस ने डिजिटल वॉच को बनाया जो की एक लेड प्रोटोटाइप था, जिसका नाम पल्सर रखा गया। इस घड़ी में समय को देखने के लिए उसमें दिया गए बटन को दबाने पर स्क्रीन के ऊपर समय दिखने लगता है। इसके बाद फिर वर्ष 1980 में जापानीज कंपनी सीको ने T001 नाम सेड घड़ी को बनाया था।
1994 माइक्रोसॉफ्ट के द्वारा टाइम डाटा लिंक पहली वॉच बनी, जो की कंप्यूटर से डाटा डाउनलोड कर सकती थी। 1998 में पिओनीर ने पहली लिनु्स स्मार्ट वॉच बनाई। 1990 में सैमसंग ने एंड्राइड के साथ मिल कर पहली कॉल सुविधा वाली घड़ी बनाई।
2001 में IBM ने watch pad 1.5 बनाई। इसमे ब्लूटूथ के साथ 8 mb की ram और 16 mb की फ्लेश मेमोरी थी।
2013 में ओमेट नाकम कंपनी ने पहली बार इंडिपेंडेंट स्मार्टवॉच बनाई थी। जिसमे एंड्राइड एप्प भी चलता है।
स्मार्टवॉच के फायदे।
फोन के बिना ही हम किसी कॉल मैसेज का उत्तर दे सकते है। सोशल साइट के नोटिफिक्शन को देख सकते है और यही नहीं बल्कि इसके द्वारा हम अपने फोन चोरी होने पर इसका पता लगा सकते है, इस स्मार्टवॉच में फोन ट्रैक्कर का फीचर भी है। यह घड़ी समय दिखाने के साथ बहुत सारे कार्य भी करती है। यह एक उत्तम फिटनेस ट्रैक्कर साबित हो सकती है।
स्मार्टवॉच के नुकसान।
कहते है न, के हर अच्छी चीज कुछ बुरी भी होती है।
यह आपके अटेंसन को खींचती है। इसके जीपीएस ट्रैक्कर हर समय आपकी लोकेशन को डिटेक्ट करती रहती है।
आपके स्मार्टवॉच से हर नोटिफिकेशन को कोई भी देख सकता है। दरअसल स्मार्टवॉच इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड (EMF) रेडिएशन पैदा करती हैं, जो हेल्थ के लिए खतरनाक हो सकता है, इसके अलावा भी रेडिएशन के हेल्थ पर कई नेगेटिव प्रभाव भी पड़ते हैं।
प्रभाकर तिवारी
न्यूज़ हेल्पलाइन
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