आज “नहाय-खाय" के साथ शुरू हुआ छठ पूजा का महापर्व, जानिए पर्व से जुड़ी कुछ ख़ास बाते।।
‘नहाय-खाय' छठ महापर्व का पहला दिन।
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ हो गई है। इस दिन सुबह-सुबह नदी में व्रत करने वाले महिलाएं और पुरुष सभी स्नान करते हैं, उसके बाद भोजन बनाया जाता है। आज के दिन चने की दाल, कद्दू या लौकी की सब्जी और चावल का प्रसाद सूर्यदेव और अपने कुलदेवी या कुलदेवता को भोग लगाकर छठ का व्रत करने वाली महिलाएं और पुरुष प्रसाद ग्रहण करते हैं।
बिहार का सुप्रसिद्ध चार दिनों तक चलने वाले महापर्व छठ व्रत की शुरुआत 'नहाय-खाय'के साथ होती है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान कर नए कपड़े पहनकर पूजा करती हैं। छठ व्रतियों को नए कपड़े दिये जाते हैं। पीले और लाल रंग के कपड़ों का विशेष महत्व होता है। हालांकि, दूसरे रंगों के कपड़े भी पहने जा सकते हैं।
29 अक्टूबर शनिवार यानी कल खरना होगा। 30 अक्टूबर रविवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं 31 अक्टूबर सोमवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और इसके साथ ही छठ पूजा का समापन हो जाएगा।
महापर्व छठ व्रत आज से शुरू।
इस दिन व्रत से पूर्व नहाने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करना ही 'नहाय-खाय' कहलाता है। इन सब्जियों को पूरी पवित्रता के साथ धोया जाता है। खाना पकाने के दौरान साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है। खाना पकाने के दौरान भी छठ व्रती छठी मईया के गीत गाकर आराधना करती नजर आती हैं। नहाय खाय के दिन जो खाना खाया जाता है, उसमें सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है। नियम का पालन करते हुए छठ व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद घर के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण कर सकते हैं। यह व्रत काफी कठिन होता है, इसलिए बीमार या शारीरिक रूप से कमजोर लोग इस व्रत को नहीं कर सकते हैं। यह छठ पर्व निष्ठा,भाव और पवित्रता के साथ मनाया जाता हैं।
छठ-व्रतियों को इन खास बातों का रखना पड़ता है ध्यान।
छठ व्रती 36 घंटे निर्जला रहने के साथ-साथ व्रत पूरा होने तक जमीन पर ही सोते हैं। नहाय-खाय के दिन बनने वाले भोजन को बनाने के दौरान भी कई खास बातों का ध्यान रखना होता है। जो खाना इस दिन बनाया जाता है, उसे रसोई के चूल्हे पर नहीं बल्कि लकड़ी या मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है। इस चूल्हे में केवल आम की लकड़ी का ही इस्तेमाल किया जाता है। इस दिन तमाम नियमों का पालन करते हुए भोजन बनाकर सबसे पहले सूर्य देव को भोग लगाया जाता है। उसके बाद छठ व्रती भोजन ग्रहण करते हैं और उसके बाद ही परिवार के दूसरे सदस्य भोजन कर सकते हैं और इसके उपरांत घर के अन्य सदस्य छठ व्रती के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं।
इन नियमों का पालन अवश्य करें।
नहाय-खाय के दिन से व्रती को साफ और नए कपड़े पहनने चाहिए। नहाय-खाय से छठ का समापन होने तक व्रती को जमीन पर ही सोना चाहिए। छठ व्रती जमीन पर चटाई या चादर बिछाकर सो सकते हैं। इस दौरान घर में तामसिक और मांसाहार भोजन बनाना वर्जित होता है। इसलिए इस दिन से पहले ही घर पर मौजूद ऐसी चीजों को बाहर कर देना चाहिए और घर को साफ-सुथरा कर देना चाहिए। मंदिरा पान, धूम्रपान आदि न करें। किसी भी तरह की बुरी आदतों को करने से बचें। साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना जरूरी होता है। पूजा की वस्तु का गंदा होना अच्छा नहीं माना जाता है। इसलिए साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। इसी के साथ छठ की छटा नहाय-खाय के साथ ही चारों ओर देखने को मिलती है।
अनामिका झा
न्यूज़ हेल्पलाइन
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