क्या आप जानते हैं, भारत में कौन-सी धाराएं और किस प्रकार से लगाई जाती है देखें ख़बर।।
भारत में कई ऐसी धाराएं है जिसकी जानकारी लोगों को आज भी नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। आखिर कौन-सा अपराध करने पर किस प्रकार की सजा हो सकती है या फिर कौन-कौन सी धाराएं लगाई जा सकती है? जो धारा उस पर लगाई गई है उसके अंदर क्या-क्या प्रावधान है? भारतीय दण्ड संहिता भारत के अन्दर भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गए कुछ अपराधों की परिभाषा बताती है। साथ ही अपराध करने पर क्या दंड मिलेगा,ये भी बताती है। यह संहिता भारत की सेना पर लागू नहीं होती। भारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् 1860 में लागू हुई थी।
भारतीय दंड संहिता सजा -ए- मौत की धारा 302
भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के अनुसार, इस धारा का उपयोग जब किया जाता है जब कोई भी व्यक्ति अगर हत्या का दोषी साबित होता है तो उस पर आईपीसी की धारा 302 लगाई जाती है। इस धारा के तहत उम्र कैद या फांसी की सजा और जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा अगर मामले में हत्या के एक आरोपी को अपराध का दोषी माना जाता है, तो धारा 302 में ऐसे अपराधियों को सजा दी जाती है। जिसमें कहा गया है कि जिसने भी हत्या की है, उसे या तो आजीवन कारावास की या मृत्युदंड के साथ - साथ जुर्माने की सजा दी जाएगी।
क्या है 144 धारा कब लगाई जाती है।
भारतीय दंड संहिता कि धारा 144 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति पिस्तौल, बंदूकें, तलवारें से लेकर खंजर, किरपान का प्रयोग कर किसी सार्वजनिक शांति को भंग करता है, किसी व्यक्ति को चोट पहुंचाता है तो ऐसे व्यक्ति पर धारा 144 लागू होती है। इस धारा के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसे समुदाय से जुड़ा है जिसमे पांच या उससे ज्यादा लोग है, वो लोग अगर किसी सार्वजनिक शांति को भंग कर किसी पर हमला करते हैं तो ऐसे लोगों को उचित दंड दिया जाता है। किसी जगह की शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए आईपीसी की धारा 144 लगाई जाती हैं।
अपराधिक साजिश के तहत धारा 120B लगाई जाती हैं।
धारा 120B को दो भागों में बांटा गया हैं।
1) पहले भाग में किए गए अपराध के लिए मृत्यु, आजीवन कारावास, 2 साल या उससे अधिक की अवधि के कारावास की सजा का उल्लेख किया गया है, यदि अपराध के लिए संहिता में किसी सजा का उल्लेख नहीं किया गया था तो ऐसे व्यक्ति को उसी तरह माना जाएगा जैसे व्यक्ति ने अपराध में सहायता की है या बढ़ावा दिया है।
2) दूसरे भाग में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति साजिश के पक्ष में था, तो उसे 6 महीने की कैद, जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा। यदि साजिश की गई और साजिश विफल हो जाती है तो व्यक्ति जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।
क्या है आईपीसी की धारा 376
किसी भी महिला के साथ बलात्कार करने के आरोपी पर धारा 376 के तहत मुकदमा चलाया जाता है, अंत में अपराध सिद्ध होने की दशा में दोषी को कम से कम सात साल व अधिकतम 10 साल तक कड़ी सजा और आजीवन कारावास दिए जाने का प्रावधान है। जिससे की अपराधी को अपने गुनाह का अहसास हो और भविष्य में वह कभी भी बलात्कार जैसे संगीन अपराध को करने कि कोशिश भी न करे।
अंकित कुमार
न्यूज़ हेल्पलाइन
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