जानें भारत का पहला विमानवाहक पोत की पूरी कहानी और इससे कैसे बढ़ेगी भारत की ताकत।।
INS विक्रांत देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (विमान वाहक जहाज )है। ये जहाज देश के समुद्री इतिहास में बनाया गया था और यह अब तक का सबसे बड़ा जहाज है। इसके एयरबेस में लगा हुआ स्टील भी स्वदेशी है, जिसे भारत के वैज्ञानिको ने ही विकसित किया है। INS विक्रांत की अपनी एक खूबी है, एक ताकत है। आज भारत भी विश्व के उन देशो मे शामिल हो गया है, जो स्वदेशी तकनीक से इतने विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण करता है।
यह भारत में बना सबसे बड़ा युद्धपोत है, इसमें 30 एयरक्राफ्ट रखने की क्षमता हैं और वहीं 2300 कम्पार्टमेंट के साथ 15 डेक है जो लगभग 1500जवानो को ले जा सकती है। मल्टी-स्पेशलिस्ट अस्पताल, पूल, वहीं इसमें महिला अवसरों के लिए भी केबिन खुलवाया गया है।
क्या करता है INS विक्रांत?
एक विमानवाहक पोत एक बड़ा, सपाट डेक वाला एक युद्धपोत है जहां लड़ाकू जेट उड़ान भर सकते हैं और उतर सकते हैं। यह समुद्र में एक हवाई क्षेत्र के रूप में कार्य करता है। फ्लैगशिप अक्सर एक युद्ध समूह की कमान संभालता है और विध्वंसक, फ्रिगेट और पनडुब्बियों के हमले से सुरक्षित करता है।
INS विक्रांत की कुछ विशषताएं -
* वजन -45000टन
लम्बाई -262मीटर
चौडाई -62मीटर
ऊंचाई -59मीटर
* इसमें एंटी सबमरीन वॉरफेयर, एंटी सरफेस, एंटी एयर वॉरफेयर जैसे कई आधुनिक सिस्टम से लैस है।
* 450कि. मी मारक क्षमता वाली ब्रहोम्स मिसाइल भी तैनात रहेगी।
* मेडिकल कॉम्पलैक्स में आधुनिक ऑपरेशन थिएटर के साथ 16बिस्तर मौजूद है, साथ ही यहां फिजियोथेरेपी क्लिनिक, icu, पैथोलॉजी, सीटी स्कैनर और एक्स-रे मशीनो जैसी सुविधा उपलब्ध है।
* आधुनिक सुविधाओ से प्रस्तुत एक किचन है, जिसमें एक यूनिट प्रति घंटा 3 हजार रोटियां तैयार हो सकती है।
* INS विक्रांत को बनाने में कुल लागत 20हजार करोड़ रूपये की आई है।
भारतीय नौसेना के एक अधिकारी के मुताबिक, जहाज में तीन एफिल टावर के बराबर स्टील का इस्तेमाल किया गया है।
यह भारतीय नौसेना के अनुसार "फिक्स्ड विंग और रोटरी विंग एयरक्राफ्ट का वर्गीकरण" संचालित करने में सक्षम है। यह कामोव-31 प्रारंभिक चेतावनी हेलीकाप्टरों, मिग-29के लड़ाकू विमानों, स्वदेशी की मेजबानी करेगाएएलएच(उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर), एमएच -60 आर मल्टीरोल हेलीकॉप्टर।
भारत का पहला विमानवाहक पोत, आईएनएस विक्रांत, 1961 में यूनाइटेड किंगडम से खरीदा गया था और अब भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत का नाम इसके नाम पर रखा जाएगा और यह अपनी विरासत और बहुत कुछ को सही ठहराएगा। मूल विक्रांत को 1997 में सेवामुक्त कर दिया गया था।
रोमा गुप्ता
न्यूज़ हेल्पलाइन
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