Sri lanka Economic Crisis : आखिर क्या हुआ सोने की लंका कहे जाने वाली श्रीलंका में , जिससे सरकार हुई नाकाम।।

श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है। 2.2 करोड़ की आबादी वाला यह देश श्रीलंका इन दिनों अर्थव्यवस्था की गंभीर समस्या के कारण संकट में है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घटता जा रहा है और देश के लिए आवश्यक उपभोग की वस्तुओं का आयात करना कठिन होता जा रहा है। 1948 में आजादी मिलने के बाद अब तक से सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है। खाने के जरूरी सामान और ईधन की भारी किल्लत की वजह से करीब एक महीने से लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी दौरान उनकी पुलिस से भी झड़प हो रही है। 


बीते शनिवार को श्रीलंका में जो कुछ हुआ उसे आने वाले कल में लंबे समय तक याद रखा जाएगा, किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि संकट से दुखी और व्यथित श्रीलंकाई लोग राष्ट्रपति भवन और पीएम निजी आवास में घुसकर तोड़फोड़ करेंगे और पीएम के निजी आवास को आग लगा देंगे। शनिवार को राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे अपना आवास छोड़कर भाग गए।

बता दें श्रीलंका का वर्तमान आर्थिक संकट उसकी आर्थिक संरचना में निहित ऐतिहासिक और संतुलन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ऋण संबंधी शर्त और सत्तावादी शासकों की गुमराह नीतियों का परिणाम है।                                  


संकट का कारण।

वर्ष 2009 में श्रीलंका जब 26 वर्षों से जारी गृह युद्ध से उभरा। वहीं युद्ध के बाद कि उसकी जीडीपी वृद्धि वर्ष 2012 तक प्रतिवर्ष 8-9% के उपयुक्त उच्च स्तर पर बनी रही थी। लेकिन वैश्विक कमोडिटी मूल्यों में गिरावट, निर्यात की मंदी और आयात में वृद्धि के साथ वर्ष 2013 के बाद उसकी औसत जीडीपी विकास दर घटकर लगभग आधी रह गई। वर्ष 2016 में श्रीलंका एक बार फिर 1.5 बिलीयन डॉलर के ऋण के लिए आईएमएफ (IMF) के पास पहुंचा लेकिन आईएमएफ की शर्तों ने श्रीलंका के आर्थिक स्वास्थ्य को और बदतर कर दिया।


श्रीलंका के वर्तमान संकट में भारत की सहायता।

जहां आशंका जताई जा रही है कि गंभीर डॉलर संकट से( Sovereign default) और आयात निर्भर देश में आवश्यक वस्तु की भारी कमी की स्थिति बन सकती है। इससे जूझ रहे पड़ोसी द्विपीए राष्ट्र को जनवरी 2022 से भारत उल्लेखनीय आर्थिक सहायता प्रदान कर रहा है। इसके साथ ही अभी हाल में भारत ने अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका की मदद के लिए एक बिलियन डॉलर अल्पकालिक रियायती ऋण भी प्रदान किया है। श्रीलंकाई लोगों की कठिनाइयों को कम करने के लिए भारत न्यूनतम लागत सहायता प्रदान कर रहा है।


इसी बीच हालात को काबू में करने के लिए पार्टी नेताओं की आपातकालीन बैठक बुलाई गई जिसमें सर्वसम्मति से नेताओं ने राष्ट्रपति और पीएम के इस्तीफे की मांग की वहीं पीएम ने सशर्त इस्तीफे का ऐलान कर दिया है।

अनामिका झा

न्यूज़ हेल्पलाइन

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