क्या गैंगस्टरों के भी होते हैं सॉफ्ट साइड, बताएंगे आपको टॉप 5 गैंगस्टरों के निजी जिंदगी के क़िस्से ।

गैंगस्टर का नाम सुनते ही हमें जुर्म की काली दुनिया का एहसास होता है और हम कांप उठते हैं। एक कहावत है कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और ठीक उसी तरह हर गैंगस्टर जन्म से ही गैंगस्टर नहीं बनता है। गैंगस्टर बनने के पीछे एक मार्मिक वजह या फिर अन्य कई महत्वपूर्ण कारण होते हैं। आइए हम आपको रूबरू करवाते हैं कुछ ऐसे ही गैंगस्टर्स के निजी जिंदगी से।


1)अबू सलेम

अबू सलेम पर कई बार अंडरवर्ल्ड डॉन का तमगा लगाया जाता था, लेकिन उनके करीबी लोगों का दावा है कि वह कभी अंडरवर्ल्ड डॉन नहीं थे। बल्कि 1993 धमाके के पहले वह दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस इब्राहिम के ड्राइवर और डिलीवरी मैन के तौर पर काम करते थे। अबू सलेम बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुकात रखता था। उसके पिता अब्दुल करयूम अंसारी पेशे से वकील थे। अबू सलेम की पिता की एक्सीडेंट से मृत्यु हो जाने के बाद अबू सलेम की मां ने छोटा-मोटा काम कर अपने चार बेटे और तीन बेटियों का पालन पोषण कर अपने परिवार को पाला। लेकिन परिवार की सारी जिम्मेदारियां अबू सलेम के कंधों पर आ गई और इंटरमीडिएट की पढ़ाई छोड़कर अबू सलेम काम की तलाश में दिल्ली आ गया और कुछ वक्त के लिए बाइक रिपेयरिंग का काम करने लगा, लेकिन वहां बात ना बनने पर 20-22 साल की उम्र में मुंबई आ गया।

मुंबई आने के बाद अबू सलेम ने कई कामों में अपना हाथ जमाया। मुंबई में उसकी मुलाकात कई माफिया लोगों से हुई और वह क्राइम की दुनिया की तरफ बढ़ता चला गया। 1989 में अबू सलेम दाऊद इब्राहिम के संपर्क में आया और दाऊद इब्राहिम के लिए हथियारों की डिलीवरी का काम करने लगा। उस  समय अबू सलेम दाऊद इब्राहिम का निकट सहयोगी और दाहिना हाथ माना जाता था। जबरन वसूली के मामले में अबू सलेम पर पहला केस दर्ज किया गया। अबू सलेम ने दुबई में एक बिजनेस शुरू किया जिसका नाम “किंग्स ऑफ कार ट्रेडिंग" रखा। इसी दौरान अबू सलेम की मुलाकात अभिनेत्री मोनिका बेदी से हुई। अबू सलेम ने दावा किया कि साल 2000 में लॉज एंजेल्स की एक मस्जिद में मोनिका बेदी के साथ उसका निकाह हुआ था। हालांकि मोनिका बेदी ने इस बात से इनकार कर दिया। अबू सलेम पर दिग्गज गीतकार गुलशन कुमार को मारने का आरोप लगा और अन्य कई हत्याओं, फिरौती जैसे मामलों में वह लिप्त पाया गया। 
2) दाऊद इब्राहिम

जब कभी भी अंडरवर्ल्ड की दुनिया की बात होती है तो जुबां पर दाऊद इब्राहिम का नाम आता है। दाऊद इब्राहिम एक ऐसा अंडरवर्ल्ड डॉन माना जाता था जिसके कहने मात्र से ही मुंबई का कमिश्नर भी बदल दिया जाता था। दाऊद इब्राहिम के माता-पिता बहुत ही सीधे साधे किस्म के व्यक्ति थे। दाऊद इब्राहिम को बचपन से बुरी आदतों का शौक था और बुरी आदतों के चलते पढ़ाई में मन नहीं लगता और पढ़ाई को बीच में छोड़कर दाऊद इब्राहिम चोरी, डकैती, लूटपाट और सबसे बड़ी फिरौती ड्रग्स के सप्लाई के कार्य में लिप्त हो गया। दाऊद इब्राहिम के माता-पिता ने उसकी बुरी आदतों को दूर करने के लिए उसकी शादी करवा दी, परंतु इसका कोई लाभ नहीं हुआ। 

दाऊद इब्राहिम अपने प्रारंभिक दिनों में बहुत ही गरीब हो गया था। उसके पिता नौकरी करते थे। जिससे उन्हें घर में अच्छा खाना नसीब नहीं हो पाता था, इसीलिए दाऊद इब्राहिम ने अपराध की दुनिया में दस्तक दी। दाऊद इब्राहिम का अपराध दुनिया में ही नहीं बल्कि बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री से लेकर सट्टे की दुनिया तक पहुंच चुका है। वर्ष 2003 में दाऊद इब्राहिम के ऊपर भारत और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की सरकार के द्वारा इसे “आतंकवादी" करार दे दिया गया।

3) छोटा राजन

छोटा राजन को जुर्म की दुनिया में दाऊद इब्राहिम का राइट हैंड माना जाता है। छोटा राजन का जन्म 13 जनवरी 1960 में मुंबई के चेंबूर इलाके के तिलक नगर बस्ती में हुआ। उसका असली नाम राजेंद्र सदाशिव निखलजे है। छोटा राजन मात्र दस साल की उम्र से मुंबई में ब्लैक में सिनेमाघरों के टिकट बेचता था और इसी कारण उसके बस्ती के लोग उसे नाना या सेठ कहकर बुलाते थे। छोटा राजन की इन आदतों की वजह से उसके परिवार वाले खासकर उसके पिता नाराज रहते और वह एक शरीफ इंसान थे और नौकरी पैशे वाले व्यक्ति थे।
बड़ा राजन की हत्या का बदला लेने के लिए छोटा राजन ने क्राइम की दुनिया में कदम रखा। बड़ा राजन और छोटा राजन दोनों एक दूसरे को भाई मानते थे और इन दोनों को जय वीरू के नाम से भी जाना जाता था। इसी दौरान उसकी मुलाकात दाऊद इब्राहिम से हुई और दाऊद इब्राहिम के साथ मिलकर उसने कई अपराधों को अंजाम दिया।

4) बड़ा राजन

राजन महादेव नायर उर्फ बड़ा राजन मुंबई अंडरवर्ल्ड का महान डॉन था। चेंबूर का तिलक नगर उसके जुर्म का प्रमुख अड्डा था। बचपन में ही पापी पेट ने राजन को अपराध के जीवन की ओर धकेल दिया। विखरोली में छोटा राजन के साथ मिलकर उसने सिनेमा टिकट को ब्लैक में बेचने का धंधा शुरू किया। 1970 और 1985 के बीच बड़ा राजन ने अपनी गैंग खड़ी कर ली। छोटा राजन उसका प्रमुख लेफ्टिनेंट और जिगरी दोस्त हुआ करता था। बड़ा राजन ने छोटा राजन के साथ मिलकर कई आपराधिक मामलों को अंजाम दिया। 21 सितंबर 1983 में बड़े राजन उर्फ राजन महादेव नायर की हत्या कर दी गई। 1991 की मलयालम फिल्म अभिमन्यु बड़ा राजन के जीवन से प्रेरित थी।


5) ठग बहराम

ठग बहराम का जन्म वर्ष 1765 में मध्यप्रदेश के जबलपुर डिस्ट्रिक्ट में हुआ था। ठग बहराम बचपन से बहुत ही सीधा साधा हुआ करता था। बचपन में ही उसकी दोस्ती सैयद अमीर अली से हो गई थी जो कि बहराम से उम्र में 25 साल बड़ा था और अपने समय का एक कुख्यात ठग था। 25 वर्ष की उम्र में बहराम ने जुर्म की दुनिया में कदम रखा और मात्र 10 वर्ष में ही उसने इतनी हत्याओं को अंजाम दिया कि लोग उससे खौफजदा हो गए और बहराम का खौफ पूरे इलाके में फैल गया। बहराम अपने पास हमेशा एक पीले रंग का रुमाल और एक सिक्का रखता व रुमाल के अंदर सिक्का डालकर मुसाफिरों की हत्या कर लूटपाट करता था। 

बहराम के बढ़ते आतंक की कहानी इंग्लैंड तक जा पहुंची थी। जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत ने कैप्टन विलियम हेनरी स्लीमैन को बहराम को पकड़ने के लिए भारत भेजा। काफी मशक्कत के बाद आखिरकार कैप्टन विलियम हेनरी स्लीमैन ने बहराम और उसके अन्य साथियों को पकड़ लिया। 931 लोगों की हत्या और जबरन लूटपाट मामले में बहराम को फांसी की सजा दी गई। सन 1790 और 1840 के बीच ठग बहराम ने 931 सीरियल किलिंग की जो कि विश्व रिकॉर्ड है, इसलिए ठग बहराम का नाम “गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड" में लिखा गया था। वर्ष 2005 में माइक डैश ने “Thug The true story of India"murderous cult पुस्तक को प्रकाशित किया। यह पुस्तक ठग बहराम के जीवन पर आधारित थी।
इन किस्सों से हम यह अंदाजा लगा सकते हैं कि एक साधारण व्यक्ति के गैंगस्टर बनने के पीछे बहुत सारे कारण छिपे होते हैं चाहे उनका बचपन बेहद गरीबी में बीता हो या फिर जीवन संघर्षमयी रहा हो।

अनामिका झा
न्यूज़ हेल्पलाइन

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